जोहार! आज हम बात कर रहे हैं रांची से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर मौजा चामा नगरी की, जहां आदिवासी और मूलवासी किसान अपनी जमीन को लेकर परेशान हैं। उनकी जमीन छीनी जा रही है, उसका स्वरूप (नेचर) बदला जा रहा है, और उन्हें खेती करने से रोका जा रहा है। ये किसान अपनी गुहार लेकर हर दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। अब उनकी उम्मीद जय राम महतो जैसे नेता पर टिकी है। आइए, इस खबर को आसान और साफ भाषा में समझते हैं।
क्या हो रहा है?
-जमीन की लूट: मौजा चामा नगरी में आदिवासी किसानों की खेती की जमीन पर कब्जा हो रहा है। मिसाल के तौर पर, एक किसान प्रणू राव का कहना है कि उनकी 11 एकड़ जमीन में से डेढ़ एकड़ को बाउंड्री से घेर दिया गया है। कुल मिलाकर 500 एकड़ जमीन खतरे में बताई जा रही है।
*नेचर बदलने का खेल**: ये जमीन आदिवासी (ST) जमीन है, जिसे कानूनन गैर-आदिवासियों को बेचा नहीं जा सकता। लेकिन इसे जनरल जमीन में बदलकर बेचा जा रहा है। इसमें धार्मिक और पुश्तैनी जमीनें भी शामिल हैं।
*खेती पर रोक**: किसानों को खेती करने से रोका जा रहा है। प्रणू राव बताते हैं कि जब वो खेत में जाते हैं, तो उन पर फायरिंग तक की जाती है। पिछले साल से वे खेती नहीं कर पाए हैं।
किसानों पर क्या असर पड़ा?
जीविका छिनी**: खेती बंद होने से ये किसान मजदूरी करने को मजबूर हैं। रोशन मुंडा जैसे किसान बताते हैं कि सरकार से मिलने वाला राशन सिर्फ 4 दिन चलता है, बाकी दिन मजदूरी कर गुजारा करना पड़ता है।
- **डर और धमकी**: किसानों को खेतों से भगाया जा रहा है। उन्हें धमकियां दी जा रही हैं, ताकि वो अपनी जमीन छोड़ दें।
किसने की शिकायत, कहां-कहां गए?
किसानों ने अपनी फरियाद हर जगह पहुंचाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई:
स्थानीय अफसर**: कांके के सर्कल ऑफिसर (CO) से लेकर थाने तक गए। CO पर पहले से भ्रष्टाचार के आरोप हैं, फिर भी वो काम कर रहे हैं।
बड़े दफ्तर: ED (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट), CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन), और SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) को आवेदन दिए। मुख्यमंत्री आवास तक शिकायत पहुंचाई, पर कोई जवाब नहीं।
CO का बहाना*: CO कहते हैं कि जमीन के कागजात ED ले गया, इसलिए वो कुछ नहीं कर सकते। लेकिन किसानों का कहना है कि ये सिर्फ टालमटोल है।
कौन जिम्मेदार?
- किसानों का आरोप है कि इसमें कई लोग शामिल हैं:
- *अफसर**: कांके का CO और थाने के लोग।
- *नेता और दलाल*: विक्की जयसवाल और कमलेश कुमार जैसे लोगों का नाम लिया जा रहा है, जो जेल में हैं। इनके सहयोगी भी इसमें शामिल बताए जा रहे हैं।
- *कागजों में हेरफेर*: जमीन के रिकॉर्ड (NIC) से छेड़छाड़ कर नेचर बदला जा रहा है। मिसाल के तौर पर, राजेंद्र महतो कहते हैं कि उनकी जमीन का म्यूटेशन रद्द कर किसी और को दे दिया गया।
अब क्या कर रहे हैं किसान?
- हर दरवाजा बंद होने के बाद किसानों ने जय राम महतो का दरवाजा खटखटाया है। जय राम को "जेल का टाइगर" कहा जाता है और वो विधानसभा में बेबाकी से बात उठाने के लिए जाने जाते हैं।
- किसानों को लगता है कि जय राम ही उनकी आवाज विधानसभा तक पहुंचा सकते हैं, क्योंकि 80 विधायकों में इतना साहस किसी में नहीं दिखता।
किसानों की मांग
- जांच*: जमीन की लूट और कागजों में हेरफेर की जांच हो।
- न्याय*: उनकी जमीन वापस मिले और खेती करने की इजाजत दी जाए।
- सुरक्षा*: धमकियों से बचाने के लिए संरक्षण चाहिए।
क्यों है ये खबर अहम
रांची जैसे शहर के पास आदिवासी किसानों की जमीन छिनना बड़ी बात है। ये लोग अन्नदाता हैं, लेकिन आज इनका हक मारा जा रहा है। कानूनन उनकी जमीन सुरक्षित होनी चाहिए, पर भ्रष्टाचार और सत्ता के खेल में सब दबा दिया जा रहा है। ये सिर्फ चामा नगरी की नहीं, पूरे देश में आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई की मिसाल है।
तो दोस्तों, ये था मौजा चामा नगरी का हाल। क्या आपको लगता है कि इन किसानों को न्याय मिलेगा? अपनी राय जरूर बताएं!